यह उनका कलपना ही तो है….!

0 0
Read Time5 Minute, 37 Second

pradeep upadhyay

और कितने सर्वे करेंगे! हमारी हर बात में ऐसे ही खामियाँ निकालते रहते हैं।हमारी व्यक्तिगत बातों में यदि इसी तरह से दखलंदाजी देते रहे तो फिर तो हो गया काम!इस तरह से हम आगे बढ़ ही नहीं पायेंगे और पिछड़े के पिछड़े ही रहेंगे। एक तरह से यह हमारी निजता का हनन है।हमारे मौलिक अधिकारों पर सीधा-सीधा प्रहार है। हमें अपने संविधान ने यह आजादी दी है कि हम चाहे ये करें, हम चाहे वो करें, हमारी मर्जी!

अब वे कहते हैं कि दुनिया की दो तिहाई आबादी मोबाइल से कनेक्टड है ।दुनिया के पाँच सौ करोड़ लोगों के पास मोबाइल में से सौ करोड़ मोबाइल धारक तो भारत में ही हैं और इनमें भी स्मार्ट फोन यूजर्स की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है।सीधी सी बात है कि हमारे देश में लोग हर तरफ की स्मार्टनेस का लाभ उठाते हुए खुद भी तो स्मार्ट होते जा रहे हैं, स्वाभाविक ही है कि स्मार्ट फोन की संख्या भी बढ़ेगी!हम डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ रहे हैं।डिजिटल इंडिया कोई ऐसे ही तो बनने से रहा।

सर्वे की बात यहाँ तक तो ठीक थी लेकिन जिसे वे सर्वे नाम दे रहे हैं, उसमें तो सीधे आरोप ही लगा रहे हैं कि हम भारतीय हर चार से छः मिनट में अपना मोबाइल फोन चेक करते हैं,दुनिया में सबसे कम सोते हैं और दिन का एक चौथाई समय सिर्फ फोन को ही दे रहे हैं।

ठीक है वे आरोप लगाते हैं तो लगाते रहें या फिर सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर हमें मोबाइल एडिक्ट मानते रहें लेकिन क्या उन्हें नहीं मालूम कि जहाँ बेरोजगारी का आलम हो,वहाँ मोबाइल पर टाईम पास कर रहे हों तो उन्हें क्या तकलीफ़ है वैसे ही आँखों से नींद नदारत रहती है!उनको मालूम होना चाहिए कि मोबाइल क्रांति ने युवाओं को खुलकर मिलने की आजादी दी है,खुलकर बात करने की आजादी दी है,खुलकर मनचाहा देखने,सुनने की आजादी दी है।मोबाइल ने यदि सभी बाधाओं को दूर किया है तो इसमें हर्ज ही क्या है!क्या हमारे युवाओं की आजादी पर नजर लगाना चाहते हो?जिनकी बाल्यावस्था, जिनकी किशोरावस्था दुनिया का ज्ञान अर्जित करने में बरसों खपा देती थी,इन स्मार्ट फोन की स्मार्टनेस की वजह से चुटकियों में ऊंगलियों के इशारे पर युवावस्था की दहलीज पर आ खड़ी हो, यह क्यों नहीं देख रहे हैं।कहीं यह सर्वे बुढ़ापे का कलपना तो नहीं!

स्मार्ट फोन से होने वाले फायदे सर्वे वालों को क्यों नहीं दिखाई दिये!अरे भाई,हमारा अपना समय है,हमारी अपनी अलर्टनेस है,हमारी अपनी नींद है,हम कुंभकर्ण की तरह पड़े रहकर अपना राजपाट नहीं गंवाना चाहते।बिना स्मार्ट फोन खटिया तोड़ते रहते,गली-मोहल्लों में कंचे खेलते-फिरते, पंतग उड़ाते और लूटते रहते,भंवरे घुमाया करते या फिर लंगड़ी खेलते दिन तमाम करते रहते।आज इस आवारगी से तो कम से कम दूर हैं।मोबाइल ने हमें कितना एडवांस कर दिया है, कितना ज्ञानवान बना दिया है।अब अपने गुरु हम खुद हो गए हैं तो किसी की परवाह भी क्यूंकर करें! इन बातों पर तो उन्होंने गौर नहीं फरमाया।उन्हें इस बात का जरा भी इल्म नहीं कि जब तक स्मार्ट फोन में घुसे नहीं रहेंगे तब तक डिजिटल इंडिया का सपना साकार करने की दिशा में सहभागी भी कैसे हो सकेंगे!

इसीलिए कहता हूँ कि ये सर्वे-वर्वे छोड़ो और खुद ही स्मार्ट फोन का लुत्फ़ लेना शुरू कर दो,सब कुछ भूल जाओगे और ऐसे लीन हो जाओगे कि इसपर जो भी तुम्हें मोबाइल एडिक्ट कहेगा ,उसकी गलतबयानी मानकर उसका ही गिरहबान पकड़ लोगे,भले ही वह तुम्हारा सगे वाला क्यों न हो।

परिचय

नाम- डॉ प्रदीप उपाध्याय

वर्तमान पता- 16,अम्बिका भवन,उपाध्याय नगर, मेंढकी रोड,देवास,म.प्र.

शिक्षा – स्नातकोत्तर

कार्यक्षेत्र- स्वतंत्र लेखन।शासकीय सेवा में प्रथम श्रेणी अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त

विधा- कहानी,कविता, लघुकथा।मूल रूप से व्यंग्य लेखन

प्रकाशन- मौसमी भावनाएँ एवं सठियाने की दहलीज पर- दो व्यंग्य संग्रह प्रकाशित एवं दो व्यंग्य संग्रह प्रकाशनाधीन।

देवास(मध्यप्रदेश)

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

उम्मीदों का दीप

Tue Sep 25 , 2018
आज बड़े मन से एक दीप जलाया है, प्रज्वलित हो जाये अब फिर से जीवन, हाँ मैंने फिर उम्मीदों का दीप जलाया है। दुखो की छाया को दूर करुँगा जीवन से, घनघोर अंधेरा जो जीवन मे उसे हटाने को हाँ मैंने फिर उम्मीदों का दीप जलाया है। बादल गरजे,बढ़ता जाता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।