प्रेम एक आवेदन नहीं न ही कोई अनुरोध है वो मार्ग क्या जिसमें कठिनता न ही अवरोध है ईर्ष्या मिथ्या द्वेष जिसमें हो प्रेम नहीं  वो प्रतिशोध है प्रेम जीवन की सत्यता प्रदर्शित करता है प्रेम सैद्धांतिक है न कोई प्रयोग है पवित्रता निर्धारित करे जो भाग्य वो प्रेम है […]

मैं था कहाँ और कहाँ आ कर के बैठा हूँ अपना सबकुछ किसी गैर पर लुटाकर के बैठा हूँ उम्र सदियाँ दौर सब जिसमें मुझको नजर आया था रब उस अजनबी के  इंतजार में सबकुछ गवाकर के बैठा हूँ कुछ भी फसाना था जो कभी तेरे मेरे उस इश्क का […]

मैंने उनसे कहा कि “दद्दा जी,उधर बच्चे चमकी बुखार से मर रहे हैं,राष्ट्रीय शोक की घड़ी है और आपको क्रिकेट सूझ रहा है।” दद्दा जी ने भड़कते हुए कहा- “मैं अपनी मर्जी का मालिक हूँ,मैं चाहे ये करूं, मैं चाहे वो करूं या फिर मैं कुछ ना करूं,मेरी मर्जी !आप […]

मेरी मोहब्बत को मेरी चाहत को उसने ऐन वक्त पर नामंजूर कर दिया कभी अपना बनाने की कसमें खाई देखो आज उसी ने मुझे खुदसे दूर कर दिया दर्द आसूँ सितम खामोशी से हमने सहे इन सब जख्मों को देकर भी मुझे बेवफा से मशहूर कर दिया यूँ तू हसरत […]

यह तो सामान्य सी बात है और सभी को पता होना चाहिए लेकिन नहीं, शायद आम आदमी इन गहरी बातों को नहीं समझ सकता और नही मुझ जैसे मूढ़ मति के व्यक्ति को यह बात समझ में आ सकती है लेकिन जब एक इन्जीनियरिंग का छात्र रह चुका नेता किसी […]

आखिर कब तक किसान आत्महत्या करता रहेगा ! कहीं तो यह सिलसिला थमना चाहिए लेकिन नहीं!किसान आत्महत्या करना बन्द नहीं करेगा क्योंकि जबसे सरकारें चाहे वह किसी भी दल की रही हों,किसान हितैषी होती जा रही हैं, किसान आत्महत्या कर अपनी बात उन तक पहुँचा कर सरकारों को अपनी ओर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।