कहते हैं बाजार में वो ताकत है,जिसकी दूरदर्शी आंखें हर अवसर को भुनाकर मोटा मुनाफा कमाने में सक्षम हैं। महंगे निजी स्कूल,क्रिकेट,शीतल पेयजल व मॉल से लेकर फ्लैट संस्कृति तक इसी बाजार की उपज है। बाजार ने इनकी उपयोगिता व संभावनाओं को बहुत पहले पहचान लिया और नियोजित तरीके से […]

तो बस युद्ध जारी है…, विराम कहाँ… हो चाहे सांझ समर में…, विराम कहाँ…l मैदान कहीं…, संग्राम कहाँ… भाले,बरछी और गदा…, तरकश के हैं तीर कहाँ…l चट्टानों-सा सीना लेकर…, डटे हुए सैनानी हैं… तकरार नहीं कोई…बैर कहाँ… बस युद्ध…युद्ध…युद्ध, विराम कहाँ ?                             […]

माँ… इतनी भक्ति देना कि,विश्वास आप पर हर पल बना रहे, इतनी शक्ति देना कि,हर संकट से मुकाबले को तैयार रहें इतना ज्ञान देना कि,अंधेरों में राहों को ढूंढ पाएं, इतना साहस देना कि,चुनौतियों को भी चुनौती दे पाएं…l माँ… इतनी श्रद्धा देना कि,श्रद्धेय को पहचान लें, इतनी करुणा देना […]

टोरोंटो। अखिल विश्व हिन्दी समिति, टोरोंटो का अष्टम वार्षिक अधिवेशन व ‘विश्व कवि सम्मेलन’ १६ सितम्बर को सिंधी गुरु मन्दिर(टोरोंटो) के सभागार में भारत से आए अखिल विश्व हिन्दी समिति के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दाऊजी गुप्त की अध्यक्षता व गोपाल बघेल मधु के संचालन में किया गया। कनाडा की सीनेटर […]

आज फिर वो फूट-फूट के रोया, सब्र का बांध था, टूट ही गया। कब तक संभालता वक्त के थपेड़ों से, बार बार ठोकरें लगी टूटा बिखर गया। बहुत मजबूत वजूद था उसका, गैरों में कहाँ दम,ठोकर तो अपनों की थी। जब भी मिलता था गमों से राह में, मुस्करा के […]

अक्सर ही हम, रोना रोते रहते हैं अपनी फूटी किस्मत का, चाहे हमको मिला हो कितना भी,अधिक क्यों नl नहीं होता आत्मसंतोष, कभी भी हमको। चाहते ही हैं- और अधिक,और अधिक। ये कैसी चाहत है,सोचा है कभी!                            […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।