टोरोंटो।
अखिल विश्व हिन्दी समिति, टोरोंटो का अष्टम वार्षिक अधिवेशन व ‘विश्व कवि सम्मेलन’ १६ सितम्बर को सिंधी गुरु मन्दिर(टोरोंटो) के सभागार में भारत से आए अखिल विश्व हिन्दी समिति के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दाऊजी गुप्त की अध्यक्षता व गोपाल बघेल मधु के संचालन में किया गया। कनाडा की सीनेटर डॉ. आशा सेठ,डॉ. अरुण सेठ व भारतीय कौंसलावास के कौंसल देविंदरपाल सिंह विशिष्ट अतिथि थे।
विभिन्न सत्रों में मंच पर श्याम त्रिपाठी, डॉ. भारतेन्दु श्रीवास्तव, डॉ. देवेन्द्र मिश्र, डॉ. कैलाश भटनागर,प्रेम सागर कालिया,सरन घई और डॉ. जयराम आनन्द आदि उपस्स्थित रहे। आरम्भ सेवकसिंह के ‘वन्दे मातरम्..’ एवं श्री बघेल ‘मधु’ व आचार्य ध्यानात्मानंद अवधूत के ‘संग्छध्वं सम्बदध्वं..’ व श्री सदाशिव पर आधारित श्रीश्री प्रभात रंजन सरकार द्वारा रचित ‘प्रभात संगीत’ से हुआ।इसके उपरान्त विभिन्न सत्रों में २५ प्रमुख कवियों ने अपनी मार्मिक व मंत्रमुग्ध करने वाली रचनाएँ सुनाकर श्रोताओं का हृदय तरंगित किया। प्रमुख कवि व प्रवक्ता सर्वश्री दाऊ जी गुप्त,प्रेम सागर पंडित,श्याम त्रिपाठी, भगवतशरण श्रीवास्तव,डॉ. भारतेंदु श्रीवास्तव और डॉ. देवेन्द्र मिश्र इत्यादि रहे। प्रमुख कवियित्रियों में श्रीमती श्यामा सिंह,सुधा मिश्र,राज कश्यप,उषा बधवार तथा सरोजिनी जोहर आदि शामिल थीं। आयोजकों व प्रमुख श्रोतागणों में श्रीमती व सेवकसिंह,श्रीमती श्याम त्रिपाठी,श्रीमती भारतेंदु श्रीवास्तव, श्रीमती कालिया और अशोक बधवार थे। इस मौके पर सीनेटर डॉ. सेठ व डॉ. अरुण सेठ ने साहित्यकारों को हिन्दी साहित्य की सेवा करने के लिए सराहा व अपनी २ रचनाएँ सुनाकर सभी का मन मोह लिया। देवेन्द्रपाल सिंह ने भी सभा को संबोधित किया। आपने व भारतीय कौंसलावास की तरफ से हिन्दी के विकास व उन्नयन के लिए हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।
कार्यक्रम में देवेन्द्रपाल सिंह,डॉ. दाऊजी गुप्ता व संस्था के अध्यक्ष गोपाल बघेल ‘मधु’ ने ‘अखिल विश्व हिन्दी समिति’ की ओर से डॉ. भटनागर को `साहित्य शिरोमणि`,सरन घई को `साहित्य सुधाकर`,विजय सूरी को `साहित्य मणि` व डॉ.जयराम आनन्द को `साहित्य शशि` का सम्मान दिया। देवेन्द्र पाल सिंह को `साहित्य उत्प्रेरक` सम्मान दिया गया। कार्यक्रम में अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति (भारत) व अखिल विश्व हिन्दी समिति (संरा अमेरिका),कनाडा की हिन्दी साहित्य सभा,हिन्दी प्रचारिणी सभा, विश्व हिन्दी संस्थान,हिन्दी राइटर्स गिल्ड इत्यादि संस्थाओं का भरपूर सहयोग मिला।