कूड़े-कचरे से अपनी जिन्दगी को ढूँढती हुई, पग-पग पर ठोकर खाती हुई,जब उस महिला को देखती हूँ गरीबी हटाओ के नारे पर सोचती हूँ। उसके फटे-पुराने कपड़ों से, जब झाँकती है उसकी जवानी राह चलते हुए लोगों की आँखें, लुक-छिपकर उसी को निहारती हैैं उसके गंदे कपड़ों और देह से […]