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जिसे निभा न सकूँ,
ऐसा वादा नहीं करता…।
मैं बातें अपनी हद से,
ज्यादा नहीं करता…॥
तमन्ना रखता हूं,
आसमान छू लेने की…।
लेकिन औरों को गिराने का,
कभी इरादा नहीं रखता…॥
जीवन के हर मोड़ पर,
सुनहरी यादों को रहने दो।
जुबां पर हर वक्त,मिठास रहने दो,
ये अंदाज है जीने का,
न खुद रहो उदास
ना दूसरों को रहने दो,
जीवन की यादों को जीवित रहने दो…॥
जिसके दिल में,प्यार नहीं,
वो आजादी का,हक़दार नहींl
मेरा वतन,गुलज़ार है,
यहाँ ख़ारों से,इक़रार नहीं..ll
तेरी रहमत का असर,दुआओं में पाया है,
आई जब भी मुसीबत,तूने ही साथ निभाया हैl
कैसे कह दूँ `मालिक’ ,
कि,तेरा और मेरा कोई रिश्ता नहीं,
गिरा मेरा जब भी अश्क,
इसमें तेरा ही चेहरा नज़र आया है..ll
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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