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मकर सक्रांति का यह त्यौहार,
लोहड़ी पोंगल उत्सव घर-द्वार।
सूरज देव उत्तरायण को तैयार,
सब मिल करते सूर्य नमस्कार॥
भास्कर देवता जग के आधार,
सुख-समृद्धि की करते बौछार।
खेतों में पीली सरसों की बहार,
खुशियाँ मिलती सबको अपार॥
दान पुण्य स्नान का है त्योहार,
दानी करते गरीबों पर उपकार।
देते हैं वस्त्र,धन भोजन उपहार,
अतिथि देवो भव: ईश सत्कार॥
नील गगन में पतंगों की भरमार,
वर्धमान पेच लडा़ने को है तैयार।
हाथ से छूट कटी पतंग की डोर,
वो काटा वो काटा का मचा शोर॥
घर की छतों पर है सारा परिवार,
गरम हलवा,पुआ,पकौड़ी तैयार।
तिल गजक रेवड़ी करो स्वीकार,
‘रिखब’ हाथ जोड़ करता मनुहार॥
#रिखबचन्द राँका
परिचय: रिखबचन्द राँका का निवास जयपुर में हरी नगर स्थित न्यू सांगानेर मार्ग पर हैl आप लेखन में कल्पेश` उपनाम लगाते हैंl आपकी जन्मतिथि-१९ सितम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-अजमेर(राजस्थान) हैl एम.ए.(संस्कृत) और बी.एड.(हिन्दी,संस्कृत) तक शिक्षित श्री रांका पेशे से निजी स्कूल (जयपुर) में अध्यापक हैंl आपकी कुछ कविताओं का प्रकाशन हुआ हैl धार्मिक गीत व स्काउट गाइड गीत लेखन भी करते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-रुचि और हिन्दी को बढ़ावा देना हैl
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