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एक दिन ही क्यों याद करें
प्रतिदिन पिता का सम्मान करें
निमित्त वही हमारे अवतरण का
निमित्त वही हमारे पोषण का
छींक अगर हमें आ जाती है
धड़कन पिता की बढ़ जाती है
हमारे चेहरे पर मुस्कान के लिए
उनकी कमर सवारी बन जाती है
शरीर छोड़कर चले जाने पर भी
उनकी आत्मा आशीष बरसाती है
परमपिता के भरोसे छोड़कर हमें
पिता की आत्मा रुखसत हो जाती है।
#श्रीगोपाल नारसन
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