मेरे दिल कि सरहद
को पार न करना I
नाजुक है दिल मेरा
वार न करना I
खुदसे बढ़कर भरोसा है
मुझे तुम पर I
इस भरोसे को तुम
बेकार न करना I।
दूरियों की ना
परवाह कीजिये I
दिल जब भी पुकारे
बुला लीजिये I
कहीं दूर नहीं हैं
हम आपसे I
बस अपनी पलकों को
आँखों से मिला लीजिये lI
दिलमें हो आप तो कोई
और ख़ास कैसे होगा I
यादों में आपके सिवा
कोई पास कैसे होगा I
हिचकियां कहती है
आप याद करते हो…I
पर बोलोगें नहीं तो हमें
अहसास कैसे होगा ?
आरज़ू होनी चाहिए
किसी को याद करने की।
लम्हें तो अपने आप
ही मिल जाते हैं I
कौन पूछता है पिंजरे में
बंद पंछियों को I
याद वही आते है
जो उड़ जाते है…।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुंबई)