पेट और रेल

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रोज देखा करता था
उसे आते-जाते
चार चक्कों की गुड़गुड़ी पर बैठा
गंदा-सा मैला-कुचैला
रेल्वे की प्लेटफॉर्म पर,
आते-जाते राहगीरों को
घूरता रहता था…।
कभी-कभी अजीब हरकतें करता,
राहगीरों का ध्यान पाने के लिए
मांगता था वो कभी-कभी कुछ,
पेट की आग बुझाने के लिए।
प्लेटफॉर्म पर खड़ी रेलगाड़ी,
के आरक्षण के डिब्बे में
बैठा था कोई शरीफ-
सा दिखनेवाला आदमी,
कुछ अलसाया-सा
कुछ परेशान
उसी परेशानी में…
एक चमकीला डिब्बा खोला उसने,
कुछ खाने चीजें होंगी शायद
आंखें बता रही थी,उसकी
जैसे ही उसने वह खाने की चीज
मुंह में रखी,कड़वा-सा मुंह बनाया,
थूक दिया तुरंत प्लेटफॉर्म पर
बावजूद पढ़ने के
‘स्वच्छ भारत मिशन’
की दर्शनी तख्ती को।
उसी चीज को भी देखा
उसने,पूरी ज़ोर से,
अपनी चार चक्कों वाली
गुड़गुड़ी को दौड़ाया,
और एक ही पल में
लपक ली खिड़की से
बाहर थूकी हुई
वो खाने की चीज।
फिर अपनी मैली-सी फटी-पुरानी
शर्ट से उसे साफ करके,
वो बड़ी-बड़ी खुशी से गटक गया
तभी रेलगाड़ी और
वो रेंगने लगे…
अपने-अपने गंतव्य की ओर…॥

#संजय वासनिक ‘वासु’

परिचय : संजय वासनिक का साहित्यिक उपनाम-वासु है। आपकी जन्मतिथि-१८ अक्तूबर १९६४ और जन्म स्थान-नागपुर हैl वर्तमान में आपका निवास मुंबई के चेंबूर में हैl महाराष्ट्र राज्य के मुंबई शहर से सम्बन्ध रखने वाले श्री वासनिक की शिक्षा-अभियांत्रिकी है।आपका कार्यक्षेत्र-रसायन और उर्वरक इकाई(चेम्बूर) में है,तो सामाजिक क्षेत्र में समाज के निचले तबके के लिए कार्य करते हैं। इकाई की पत्रिका में आपकी कविताएं छपी हैं। सम्मान की बात करें तो महाविद्यालय जीवन में सर्वोत्कृष्ट कलाकार-नाटक सहित सर्वोत्कृष्ट-लेख से विभूषित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-शौकिया ही है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।