पांच पदार्थ के मिलन से
मनुष्य देह धरा,
लेकिन वो एक-दूसरे को
न समझ सका।
न विचारों का मिलन,न
स्वभाव का..
एक ही जैसी चीजों से बना ढाँचा,
फिर भी मेल नहीं खाता चेहरा।
एक-एक बिन्दु से बना है सिन्धु,
हम भी एक बिन्दु ही हैं..
बिन्दु कहते बून्द को,
सागर को कहते सिन्धु..
सिन्धु भी एक बिन्दु से बना,
बूंद आई बादल से ?
बादल आया कहाँ से,समुद्र से ?
रवि की किरणों के मिलन से,
सिन्धु का जल भाप बना..
जल उठा,आकाश में आया
बादल बना,
फिर बूंद बन नीचे आया।
जिस बिन्दु को हम अलग समझते,
वो बूंद गिरी,बह गया पानी
मिलन हो गया नालों से,
मिल गया नदी में।
नदी मिली समुद्र में,
समुद्र से ही निकला था..
जहाँ से प्रारम्भ हुआ,
वहीं हो गया अंत।
लेकिन हम मानव सिर्फ कहते हैं,
मैं तेरा,तू मेरा.
पर हम तेरे-मेरे में लगे रहते हैं..
हमने समझा कहाँ,
हमारा जन्म भी समुद्र से ही हुआ है
वो हमारे पिता हैं।
#ममता गिनोरिया
बेहतरीन जी