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सूर्य को दीपक दिखाया जा रहा है,
कद अंधेरे का बढ़ाया जा रहा है।
उसकी हालत देखकर आया हूँ मैं,
दूध चम्मच से पिलाया जा रहा है।
जैसे कोई भेड़ बकरा मर गया ,
इस कदर मातम मनाया जा रहा है।
रो रहे मुर्दे पड़े शमशान में,
आदमी जिंदा जलाया जा रहा है।
गलतियां अपनी छिपाने के लिए, बेगुनाहों को फंसाया जा रहा है।
लाभ शायद मिल गया है पात्र को, इसलिए सर्वे कराया जा रहा है।
देश मरता जा रहा है भूख से,
मंच पर श्रृंगार गाया जा रहा है।
कल तलक चिड़िया उड़ी है खबर में,
आजकल अंडा उड़ाया जा रहा है।
ताज्जुब है आजकल विद्यालयों में,
नकल को बेहतर बनाया जा रहा है॥
#डॉ.कृष्ण कुमार तिवारी ‘नीरव’