नज़र से नज़र मिली

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krishna dangi
नज़र से जब उनकी नज़र मिली तो नजर थम गई,
किया जब हमने ईश्क का जिक्र तो कायनात पिघल गई।
हम तो यूं ही पीते रहे नैनों से
शराब उनके,
जब ईश्क-ए-मोहब्बत किया तो शबाब बन गई।
कुछ इस कदर बयां किया हमने हाल-ए-दिल आंखों से,
हम दिल का हाल बता रहे थे और ग़ज़ल बन गई।
हम तो तन्हा होकर सिमट रहे थे अपनी तन्हाई में,
मौसिकी करते-करते यूं ही आशिकी बन गई।
जब पेश किया हमने अपनी मोहब्बत का किस्सा इस तरह,
तो बयां करते-करते हमारी जुबां से कमबख़्त शायरी बन गई।
वो कुछ इस तरह अंगड़ाईयां लेती कि नज़ारा बदल गया,
हम तो यूं ही दिल्लगी कर रहे थे और वो दिल की ताज़ हो गई।
कुछ इस कद़र मुस्कुराई वो बेदर्द,जैसे वक्त थम-सा गया,
मौसम भी होने लगा तन्हा ऐसे कि, बिन बादल बरसात हो गई।
हाल मेरा कुछ ऐसा था कि होश भी न रहा मुझे,
मैं उसे बस देखता रहा और वो आंखों ही आंखों में कुछ कह गई।
समझ नहीं पाया कैसे बयां करुं हाल-ए-दिल अपनी उल्फ़त का,
दिल जो कह रहा था वो हसीना मेरे आवारा मन की हीर बन गई।
बस इसी तरह चलता रहा सिलसिला मेरी बेईन्तहा मोहब्बत का,
उसका मन जो मचला वो ज़ालिम मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गई।
बहुत कुछ कहना चाहता था दिल तो मेरा अपनी किताब़ से,
पर उसकी तारीफ़ करते-करते लफ्जों की शब्दावली छोटी पड़ गई।
                                                                          #कृष्णा एम.दांगी
परिचय :  कृष्णा एम.दांगी की जन्मतिथि १ दिसम्बर १९९९ है। आपका स्थाई निवास ग्राम सोनकच्छ (तह. नरसिंहगढ़)जिला राजगढ़ है। वर्तमान में मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में खातीवाला टैंक में रह रहे हैं। काव्य के शौकीन कृष्णा एम.दांगी फिलहाल सरकारी महाविद्यालय में बी.एस-सी. में अध्ययनरत हैं।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।