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नज़र से जब उनकी नज़र मिली तो नजर थम गई,
किया जब हमने ईश्क का जिक्र तो कायनात पिघल गई।
हम तो यूं ही पीते रहे नैनों से
शराब उनके,
जब ईश्क-ए-मोहब्बत किया तो शबाब बन गई।
कुछ इस कदर बयां किया हमने हाल-ए-दिल आंखों से,
हम दिल का हाल बता रहे थे और ग़ज़ल बन गई।
हम तो तन्हा होकर सिमट रहे थे अपनी तन्हाई में,
मौसिकी करते-करते यूं ही आशिकी बन गई।
जब पेश किया हमने अपनी मोहब्बत का किस्सा इस तरह,
तो बयां करते-करते हमारी जुबां से कमबख़्त शायरी बन गई।
वो कुछ इस तरह अंगड़ाईयां लेती कि नज़ारा बदल गया,
हम तो यूं ही दिल्लगी कर रहे थे और वो दिल की ताज़ हो गई।
कुछ इस कद़र मुस्कुराई वो बेदर्द,जैसे वक्त थम-सा गया,
मौसम भी होने लगा तन्हा ऐसे कि, बिन बादल बरसात हो गई।
हाल मेरा कुछ ऐसा था कि होश भी न रहा मुझे,
मैं उसे बस देखता रहा और वो आंखों ही आंखों में कुछ कह गई।
समझ नहीं पाया कैसे बयां करुं हाल-ए-दिल अपनी उल्फ़त का,
दिल जो कह रहा था वो हसीना मेरे आवारा मन की हीर बन गई।
बस इसी तरह चलता रहा सिलसिला मेरी बेईन्तहा मोहब्बत का,
उसका मन जो मचला वो ज़ालिम मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गई।
बहुत कुछ कहना चाहता था दिल तो मेरा अपनी किताब़ से,
पर उसकी तारीफ़ करते-करते लफ्जों की शब्दावली छोटी पड़ गई।
#कृष्णा एम.दांगी
परिचय : कृष्णा एम.दांगी की जन्मतिथि १ दिसम्बर १९९९ है। आपका स्थाई निवास ग्राम सोनकच्छ (तह. नरसिंहगढ़)जिला राजगढ़ है। वर्तमान में मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में खातीवाला टैंक में रह रहे हैं। काव्य के शौकीन कृष्णा एम.दांगी फिलहाल सरकारी महाविद्यालय में बी.एस-सी. में अध्ययनरत हैं।
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