बचपन के वो पल सुहाने

0 0
Read Time1 Minute, 37 Second

devendr soni

(बाल दिवस विशेष) 
याद आते हैं,दिन पुराने,
बचपन के वो खेल-तमाशे
थे कितने वे पल सुहाने।

लुका-छिपी खेलते-खेलते,
खो-खो में खो जानाl
गिल्ली हो या गेंद लपकने
जी भर दौड़ लगाना।

लँगड़ी,पिट्ठू या कबड्डी,
रोज ही मन ललचाते थेl
इतने पर भी लगे अधूरा,तो
दंड-बैठक खूब लगाते थे।

जाने कितनी है यादें,जो,
भूली-बिसरी-सी लगती हैं।

पाठशाला से मिली जो शिक्षा,
आज नहीं बिसराती है।
जीवन में पल-पल,अब भी,
काम वही आती है।

बीता समय,बीती बातें,
याद बहुत आती हैं।

दिखते नहीं अब खेल पुराने,
बदल गए हैं रिश्तों के मानेl
मस्ती के दिन अब हुए हवा,
जीवन के ये कैसे ताने-बाने।

परियों की वे कथाएं,
दादी-नानी जो सुनाती थी।
छिपे मर्म उनमें जो रहते,
अंतस में चिपकाती थीं।

ज्ञानी-ध्यानी,वीर-महापुरुषों से,
नाना-दादा मिलवाते थे।
बातों ही बातों में,वे
जीवन का पाठ पढ़ाते थे।

बीता समय और बीती बातें,
अब याद बहुत आतीं हैं।

हमने जो देखा-समझा,
साथ बड़ों के रहकरl
सिखा न सकते अब हम
बच्चों को सब कुछ भी देकर।

नया जमाना,नई बातें,
कम ही हर्षाती हैं।
रह-रहकर बीते दिनों की,
याद बहुत आती है।

                                                      #देवेन्द्र सोनी

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सुहानी शाम

Tue Nov 14 , 2017
आज बहने लगी यादों की धारा, स्मृति ने एक सुन्दर दृश्य उभाराl  सुहानी शाम का प्यारा, मेरे गाँव का खूबसूरत नजाराl    दूर तालाब के उस किनारे, दिनमणि अपने धाम सिधारेl  संध्या छाई गगन पटल में, धीमे कदमों की आहट मेंl    रक्ताभ सुनहरी नारंगी, सुरमई श्याम पचरंगीl  सांध्य तारे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।