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बेटे का सम्मान जगत में,बेटी का सम्मान नहीं,
दुनिया वालों ये तो बता दो,बेटी क्या संतान नहीं….।
बेटा क्या लेकर के आया,बेटी क्या लाई नहीं,
बहिना के बिना सूनी-सूनी,हर भाई की कलाई है।
ऱक्षाबंधन-भाई दूज,कैसे तुम सब भूल गए,
दुनिया वालों ये तो बता दो,बेटी क्या संतान नहीं॥
बेटे का सम्मान जगत में,बेटी का सम्मान नहीं,
दुनिया वालों ये तो बता दो,बेटी क्या संतान नहीं।
बेटा साथ तो छोड़ेगा,पर बेटी साथ न छोड़ेगी,
छोड़ेगी जब भी घर को,दो-दो कुल को जोड़ेगी।
मान मिले या न मिले,पर दिल से रिश्ते निभाएगी,
दुनिया वालों ये तो बता दो,बेटी क्या संतान नहीं॥
बेटे का सम्मान जगत में,बेटी का सम्मान नहीं,
दुनिया वालों ये तो बता दो,बेटी क्या संतान नहीं॥
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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