किन्नर में समाए नर और नारी से सीखो तुम,
उस बसे अर्ध नर से सीखो तुम।
हंसी निकलती है इन्हें देख,इन्हें हंसाना सीखो तुम,
नर-नारी का दोनों है वो रुप उन्हें अपनाना सीखो तुम।
रब की कृति सुंदर है,इस कृति को प्यार करना सीखो तुम,
हर स्थिति में इनसे खुश रहना सीखो तुम।
नकारने की बजाय एक बार इन्हें स्वीकार करना सीखो तुम,
दुआ मांगने से पहले इन्हें दुआ कहना सीखो तुम।
ताली बजती है इनकी हर दुख सुख पे,हर स्थिति में इनसे खुश रहना सीखो तुम,
बहुत सुंदर है किन्नर,इन्हें हंसाना सीखो तुम…॥
परिचय: आरती जैन राजस्थान राज्य के डूंगरपुर में रहती है। आपने अंग्रेजी साहित्य में एमए और बीएड भी किया हुआ है। लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई दूर करना है।