वृक्ष की शान पे हमेशा मुस्कराई पत्ती।
द्रवित हुई विछड़ कर वृक्ष से गिरी पत्ती।।
हवा ने भी खूब इधर-उधर नचाई पत्ती।
हाल पर अपने विचलित छटपटाई पत्ती।।
तभी वृक्ष ने वहीं से आस जगाई उसकी।
थी अभी तक मेरा जीवन आधार तू पत्ती।।
व्यर्थ न जीवन अब भी,तू क्यूं उदास पत्ती।
अब भी करेगी इस सृष्टि का तू उद्धार पत्ती।।
निराशा में रोना मत कर आशा संचार पत्ती।
हर प्राणी के जीवन का…है तू आधार पत्ती।।
सजाना-सँवारना या खाद बन मिटटी बनना।
उद्देश्य हो फिर से इस सृष्टि का उद्धार करना।।
मुस्कराई ..समझ गई यह जीवन-सार पत्ती।
करेगी अर्पण जीवन..सृष्टि कल्याण हेतु पत्ती।।
#अलका गुप्ता ‘भारती’
परिचय : श्रीमती अलका गुप्ता ‘भारती’ मेरठ (उ.प्र.) में रहती हैं। काव्यरस-सब रस या मिश्रण आपकी खूबी है।आप गृहिणी हैं और रुचि अच्छा साहित्य पढ़ने की है। शौकिया तौर पर या कहें स्वांत सुखाय हेतु कुछ लिखते रहने का प्रयास हमेशा बना रहता है। आपके पिता राजेश्वर प्रसाद गुप्ता शाहजहाँपुर में एक प्रतिष्ठित एडवोकेट थे तो माता श्रीमति लक्ष्मी गुप्ता समाजसेविका एवं आर्य समाजी विचारक प्रवक्ता हैं। पति अनिल गुप्ता व्यवसायी हैं। १९६२ में शाहजहाँपुर में ही आपका जन्म और वहीं शिक्षा ली है। एमए (हिन्दी और अर्थशास्त्र) एवं बीएड किया है। तमाम पत्र-पत्रिकाओं में आपके लेख एवं कविताएँ प्रकाशित होते हैं। पुस्तक-कस्तूरी कंचन,पुष्प गंधा नामक संकलन काव्य आदि प्रकाशित है। स्थानीय, क्षेत्रिय एवं साहित्यिक समूह से भी आपको सम्मान प्राप्त होते रहे हैं। ब्लॉग और फेस बुक सहित स्वतंत्र लेखन में आप सक्रिय हैं।
बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति…
हार्दिक आभार