सेल्फी…..

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sushma vyas
वो तीनों समाज की प्रतिष्ठित महिलाएं थी। सम्भ्रांत और आदर्श परिवार की मुख्य महिलाएं। समाज और परिवार में परिचित और आदरणीय। समाज के हर खुशी और गमी के कार्यक्रम में शामिल होती। तीनों की दोस्ती जगप्रसिद्ध थी।
समाज की किसी भी बैठक में,कार्यक्रम में हमेशा सुझाव दिया करती और समाज के हित के मुद्दे उठाया करती थी।एक तरह से तीनों ही अपने-आप को बेहद सजग और बुद्धिमान,विचारवान महिलाओं जैसा समाज में प्रदर्शित करती थी।
समाज भी इनसे प्रभावित था। अपने- अपने परिवारों की अच्छे से देखभाल, बच्चों को पढ़ाकर अच्छे संस्कार देकर ऊंची नौकरियों में भेजकर वे अपने जीवन को बेहद सफल समझती थी।
एक दिन तीनों सहेलियों में से एक के पति की अचानक हृदयाघात से मौत हो गई। बेहद दुखद था। बच्चे बाहर से आए और दाह संस्कार हुआ। दोनों सहेलियां अपनी इस दुखी सखी के पास रोज आकर बैठती और तरह-तरह की हिदायत देती रहती। तीसरी सहेली उन्हें अपना सच्चा हमदर्द समझकर अपने परिजनों से बेहद तारीफ करती। १३ दिन बाद सहेली के पति की पगड़ी का दिन आया। एक धर्मशाला में पूरा समाज इकठ्ठा हुआ। चूंकि,पति पद से सेवानिवृत्त हुए थे तो जान-पहचान वाले और समाज के बहुत से लोग आए थे। उनकी अच्छी यादों और भाषण का सिलसिला चल पड़ा। समाज के कुछ बुजुर्ग और प्रतिष्ठित पदाधिकारी मृतक के अच्छे कार्यों का गुणगान करने लगे।
इतने में ही मेरी नजर मृतक की पत्नी की उन दोनों खास सहेलियों पर गई। दोनों ही भाषणों को अनसुना करके अपनी ही मस्ती में मस्त थी। बहुत सजधज के आई थी और लगातार बोले जा रही थी। अपने महंगे मोबाईल से बैठे-बैठे खुद के चित्र(सेल्फी) लिए जा रही थी। तरह-तरह के दृश्य और तरह-तरह के मुंह बनाकर।
ये देखकर मैं सन्न रह गई। ऐसा भी क्या उत्साह या दीवानापन खुद के चित्र लेने का…। ये सेल्फी की इतनी दीवानी है कि जगह और समय का भी खयाल नहीं रहता है। ‘सेल्फी’ एक कला है,पर कोई कला इतनी महत्वपूर्ण नहीं हो सकती कि आप अपनी मान-मर्यादा,अपनी भावनाएं और अपना स्वाभाविक व्यवहार छोड़ दें। क्या दिखावा करना या मोह करना इतना जरूरी है?
वाह री सेल्फी? तूने अच्छे-अच्छों को बिगाड़ दिया रे।

                                                                   #सुषमा व्यास

परिचय : श्रीमती सुषमा व्यास( सुष ‘राजनिधि’) ने हिन्दी साहित्य में एमए किया हुआ है और मौलिक रचनाकार हैं।आप इंदौर में ही रहती हैं तथा इंदौर लेखिका संघ की सदस्य भी हैं। 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।