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श्राद्ध पक्ष में दे रहें आवाज
क्यों नहीं आ रहें कागराज ।
देख स्तब्ध है आज मानव
कागराज क्यों हुए नाराज ।।
छीनी आशियानों की सेज
काटे स्वार्थ में जंगल , पेड़ ।
ढूंढें न मिल रहें है कागराज
न जाने चलें गए कौन-से देश ।।
पितृतर्पण प्रतिनिधि कागराज
स्मृति में करें वृक्षारोपण आज ।
इनके अन्न ग्रहण से मिले पुण्य
देख पेड-पौधों आएंगें कागराज ।।
# गोपाल कौशलपरिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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