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साँसों की बज रही बाँसुरी
गूंज रहा है मन-वृंदावन,
तड़प रही प्राणों की राधा
जाने कहाँ छिपा मनमोहन।
छलिया तन-कदम्ब पर बैठा
रचता चीरहरण की लीला,
कर्मों की यमुना में डूबा
हर गोपी का तन-मन गीला।
हर आँचल में भरी निराशा,
सिसक रहा है आँगन-आँगन॥
सम्बन्धों की इस मथुरा में
जाने कौन कंस आ बैठा,
कुंज-करीलें सूनी लगतीं
सबके मन में डर आ बैठा।
कुटिल कूबरी ने बहकाया,
भटक गया भोला मनभावन॥
छीज रही है आयु-यशोदा
रसघट-नंद होरहा खाली,
धीरे-धीरे चुपके-चुपके
पीता है प्याली पर प्याली।
नहीं दिखता किंतु चुराता,
हर इन्द्रिय-गोपी का मक्खन॥
टेर रही अस्मिता-द्वारिका
शासक बन आ जाओ प्यारे,
याचक बन अस्तित्व-सुदामा
खड़ा हुआ है तेरे द्वारे।
तुम वैभव सम्पन्न बना दो,
धन्य-धन्य बोले जग-जीवन॥
#डॉ.रामस्नेही लाल शर्मा ‘यायावर’
परिचय : डॉ.रामस्नेही लाल शर्मा ‘यायावर’ का जन्म फिरोजाबाद जनपद के गाँव तिलोकपुर में हुआ है। एमए,पीएचडी सहित डी.लिट्. की उपाधि आपने प्राप्त की है। मौलिक कृतियों में २७ आपके नाम हैं तो ११० में लेखन सहभागिता है। सम्पादन में भी १२ में आपकी सहभागिता है,जबकि आकाशवाणी के दिल्ली, मथुरा,आगरा व जबलपुर केन्द्रों से रचना प्रसारण हुआ है। राष्ट्रभाषा के प्रचार-प्रसार के लिए आपने नेपाल,बहरीन,सिंगापुर,दुबई,हांगकांगऔर मकाऊ आदि की वेदेश यात्रा की है। साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से एमेरिटस फैलो चयनित रहे हैं। आप नवगीत कोष के लिए शोधरत हैं तो अभा गीत व कहानी प्रतियोगिता में आपकी रचनाएँ प्रथम रही हैं। आपके निर्देशन में ४१ विद्यार्थियों ने शोध उपाधि पाई है। इतना ही नहीं,डॉ. यायावर के साहित्य पर ३ पीएचडी और ५ लघुशोध हो चुके हैं। आपका निवास फ़िरोज़ाबाद में ही है।
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Thu Sep 7 , 2017
थोड़ी-सी गलती मेरी है,और तुम्हारी भी थोड़ी-सी। कौन मगर गलती करके भी,अपनी गलती को स्वीकारे॥ हमने अपनी मन तृष्णा के, घोड़े जीवन भर दौड़ाए। मैं भी राम नहीं बन पाया, तुम भी खुदा नहीं बन पाए॥ हम दोनों ही भौतिकता की, चाहत की चाहत से हारे। कौन मगर गलती करके […]