मैं नारी हूँ, मुझे गर्व है,
ईश्वर की श्रेष्ठ कृति हूँ मुझे घमण्ड है।
वात्सल्य की मूरत हूँ,
प्रेम की प्रेरणा हूँ।
सहनशील हूँ सहज हूँ,
दुर्गा भी और काली भी।
हैं मेरे रूप अनेक पर,
सबसे ऊपर मैं ‘माँ’ हूँ।
अपने उदर से मैंने नवजीवन को जना है, ईश्वर ने मुझे ही ऐसा हक दिया है।
ईश्वर के समतुल्य कहा, मुझे नाज है।
हर संकट का मोचन हूँ मैं,
हर भटके का लोचन
हूँ मैं।
इस सृष्टि का सृजन मुझसे, मुझे दंभ है।
मुझमें करुणा का सागर है,क्रोध का ज्वार भी, चंद्रमा-सी शीतलता मुझमें, सूरज-सा तेज भी।
ईश्वर ने मुझे गढ़ा, मुझे अभिमान है। मैं नारी हूँ,मुझे गर्व है॥
#टीना जैन
परिचय: टीना जैन पुश्तैनी परम्पराओं के लिए प्रसिद्ध राज्य राजस्थान से है। १९८० में आपका जन्म हुआ और शिक्षा स्नातक सहित एम.ए., बी.एड. तथा एम.एड. भी है। बतौर गृहिणी आप शहर उदयपुर के खेरवाड़ा (तहसील रोड) में रहती हैं। आपकी रुचि कविता लेखन में है।