ये कैसी व्यथा है, गरीब कागज पर उतरता है और दर्द बिकता हैl बोली लगती लाखों में, आदमी तिल-तिल मरता हैll जमाने की बेदर्दी को तो देखो, वह अमीरों की दीवारों पर शो-पीस बनकर सजता हैl उम्मीदों से भरी नजरों को, नजरअंदाज कर उनके आँसूओं पर वाह-वाही लेता हैl गरीब […]