तिरंगे की व्यथा

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(22 जुलाई तिरंगे के जन्म दिवस पर)

बैचेन है तिरंगा,घुट-घुट के घुटन में
जिए जा रहा है…,
लहराया कम,ज्यादा कफ़न के रूप में
उपयोग आ रहा है…l

आखिर कब तक मैं जवानों को 

आँचल में छुपाऊँ…,
मेरे दिल के कलेजों को कैसे अपने
दामन में सहलाऊँ…l

मेरे लालों की कुर्बानी अब सही नहीं जाती…,

लोगों को यह बात समझ क्यों नहीं आती…l

तिरंगे का रंग अब भी लाल  हो रहा है…,
अरे कुछ पल चुप हो जाओ,मेरा लाल सो रहा है…l

अब मैं नहीं चाहता तुम्हें आँचल में सुलाना…,
वक्त आ गया है उर में निहित चक्र को तुम चलाना…l

जो अपने बच्चों के तन को ढँक सकता है…,
वो दुश्मन को जमीदोंज भी कर सकता है…l

मगर हर पल हुक्मरानों का इन्तजार करता हूं…,
उनके आदेश की राह तकते तिल-तिल मरता हूँ…l

जब ज़मीर ही दूषित और सियासी हो जाए…,
खुदगर्जी खुद अपने बच्चों के लहू की प्यासी हो जाए…l

तो मुझे अपने लालों को आँचल में

सुलाना पड़ता है…,
`मंगलेश` तिरंगा लहराने के बजाए जवानों को 
उड़ाना पड़ता है…ll 
                                                                                            #डॉ. मंगलेश जायसवाल
 
परिचय : डॉ. मंगलेश जायसवाल ने प्राथमिक शिक्षा के बाद ‘कबीर और तुलसी के मानववाद का तुलनात्मक  अध्ययन’ विषय पर पीएचडी की है। आपने एमएससी और एमए (हिन्दी-संस्कृत) के साथ ही एम.एड.और बीजे (पत्रकारिता) भी कर रखा है। आप अध्यापक हैं और मध्यप्रदेश के कालापीपल में रहते हैं।अनेक पुरस्कारों-सम्मान  से देश-प्रदेश में सम्मानित हुए हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में कहानी-कविता छपती है तो,मंचों पर कविता पाठ(ओज) भी करते हैं। आप मूल रुप से कालापीपल मंडी( जिला शाजापुर,म. प्र.)के हैंऔर वर्तमान में मकान न. 592 प्रेम नगर, मंडी सिहोर(जिला सिहोर) में ही निवास है।

matruadmin

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2 thoughts on “तिरंगे की व्यथा

  1. शानदार

    मेरी जान तिरंगा हे
    मेरी शान तिरंगा हे

    मेरी तेरी हमसब की
    पहचान तिरंगा हे।

    डॉ हरीश “पथिक” kpp

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।