निर्जन नाम साथ हरे-भरे खेत-खलिहान,
और कुछ आढ़ी-टेढ़ी बस्तियों-सा गाँवl
कुछ अकेले और मन संचित ह्रदय वाले,
आशा के रहीम,फकीर ह्रदय का मूर्छावl
कर्ज में पीढ़ी-पीढ़ी और आत्मज अर्पण,
बँटता रहता,रीढ़ की हड्डी-सा बचा-कुचाl
मन उज्ज्वल मन्दिर,आशा उसकी माया,
काया को न नसीब ह्रदय आशा का सच्चाl
मन तिनकों से हटकर स्वयं न मर्जिला,
बहता जूझता रहता जैसे आशा उसकी नूरl
काया लिए रहता किरणें मानो उजली,
जैसे रवि किरणें आती-जाती हैं सम नीरl
तटिनी उत्पल खिलता रिमझिम ह्रदय,
आशा बहार हर्षोल्लास गड़गड़ाहट लाताl
प्रयास,लक्ष्य,लगन,परिश्रम और सर्व,
पर खेत-खलिहान तक सिमट रह जाताl
मगन ह्रदय मनन कर अनुभव कहता,
खलिहान ब्याज,पेट भरण पर कर्ज रहताl
काया-परिश्रम और तरफ ढह जाती,
काया कृपण में कर्ज लिए अटक रह जाताl
सहम जाता पर ह्रदय चिंगारी आशा,
दिनकर कर्म की भावना ह्रदय को ले आताl
जुट जाता अपनी रफ्तार जिन्दगी में,
भोर हुई तो चल,संध्या को घर लौट अाताl
बस जीवन ओझल होने तक दोहरान,
स्वयं अर्पण कर्ज में संभव कर्जकार निह्रदयl
`रणजीत` कहत है जीवन वेदना से गुजरता,
जीवन-परिश्रम और आशाओं का ह्रदयl
#रणजीतसिंह चारण ‘रणदेव'
परिचय: रणजीतसिंह चारण `रणदेव` की जन्म तारीख १५ जून १९९७ और जन्म स्थान-पच्चानपुरा(भीलवाड़ा,राजस्थान) हैl आप लेखन में उपनाम `रणदेव` वापरते हैंl वर्तमान में निवास जिला-राजसमंद के मुण्डकोशियां(तहसील आमेट) में हैl राजस्थान से नाता रखने वाले रणजीतसिंह बीएससी में अध्ययनरत हैंl कविता,ग़ज़ल,गीत,कहानी,दोहे तथा कुण्डलिया रचते हैंl विविध पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैंl आप समाजसेवा के लिए गैर सरकारी संगठन से भी जुड़े हुए हैंl लेखन का उद्देश्य-आमजन तक अपना संदेश पहुंचाना और समाज हित है।