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कविता का पहले हुआ,जन्म,सुनो श्रीमान।
तब संस्कृत में हैं बने,मात्रा, छंद, विधान॥
मात्रा, छंद, विधान,बात भाषा की आई।
संस्कृत सबकी मात,रीत हिन्दी अपनाई॥
सुनो सखा ‘उत्कर्ष’,काव्य पथ की यह भविता।
हिन्दी कहती आप,बाद प्रगटी तब कविता॥
#नवीन श्रोत्रिय ‘उत्कर्ष’
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