रुक जाना कभी सीखा नहीं

0 0
Read Time2 Minute, 25 Second
kirti vardhan
हार कर रुक जाना कभी सीखा नहीं,
संभलकर गिर जाना कभी सीखा नहीं।
यूँ तो रूकावटें मेरी राहों में थी बहुत,
टूटकर बिखर जाना कभी सीखा नहीं।
कांच-सी फितरत मेरी,टूटकर बिखर जाता हूँ मैं,
आयना हूँ,टूटकर भी चेहरा दिखाना भूला नहीं।
लेकर भरोसा गैर का राहों में,कभी बढ़ता नहीं,
मील का पत्थर हूँ,पता मंजिल का भूला नहीं।
की बहुत कोशिशें तोड़ने की,कच्चे धागे के मानिन्द,
इरादों की रस्सी बनाना,मैं कभी भूला नहीं।।

                                                                        #अ.कीर्तिवर्धन

परिचय : अ.कीर्तिवर्धन का जन्म १९५७ में हुआ है। शामली (मुज़फ्फरनगर)से आपने प्राथमिक पढ़ाई करके बीएससी मुरादाबाद से किया। इसके अलावा मर्चेन्ट बैंकिंग, एक्सपोर्ट मैनेजमेंट और मानव संसाधन विकास में भी शिक्षा हासिल की है। १९८० से नैनीताल बैंक लि. की मुज़फ्फरनगर शाखा में सेवारत हैं। प्रकाशित पुस्तकों में-मेरी उड़ान,सच्चाई का परिचय पत्र,मुझे इंसान बना दो तथा सुबह सवेरे आदि हैं। राष्ट्र भारत(निबंधों का संग्रह)भी आपकी कृति है तो नरेंद्र से नरेंद्र की ओर प्रकाशनाधीन है। व्यक्तित्व व कृतित्व पर ‘सुरसरि’ का विशेषांक ‘निष्णात आस्था का प्रतिस्वर’ कीर्तिवर्धन भी आपकी उपलब्धि है।’सुबह सवेरे’ का मैथिलि में अनुवाद व प्रकाशन भी किया है। आपकी कुछ रचनाओं का उर्दू ,कन्नड़ ओर अँग्रेजी में भी अनुवाद अंग्रेजी में अनुवाद हुआ है। साथ ही अनेक रचनाओं का तमिल,अंगिका व अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हो चुका है। आपको ८० से अधिक सम्मान, उपाधियाँ और प्रशस्ति-पत्र मिले हैं। विद्यावाचस्पति,विद्यासागर की उपाधि भी इसमें है। आप सेवा के तहत ट्रेड यूनियन लीडर सहित अनेक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

याद है न

Sat Jun 24 , 2017
वो 31 जनवरी की रात याद है न! तेरी मेरी पहली मुलाकात.. मेरा तुझमें खोना, तेरा चुपके से शर्माना तुम्हारे लंबे बालों में गुम होने की तमन्ना, याद है न। वो तीन दिन बाद मेरा तेरा घूमने जाना, कोसी की लहरों के बीच से निकलकर ठंडी हवाओं में तेरा मुझे […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।