याद है न

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piyush chil

वो 31 जनवरी की रात
याद है न!
तेरी मेरी पहली मुलाकात..
मेरा तुझमें खोना,
तेरा चुपके से शर्माना
तुम्हारे लंबे बालों में गुम होने की तमन्ना,
याद है न।
वो तीन दिन बाद
मेरा तेरा घूमने जाना,
कोसी की लहरों के बीच से निकलकर
ठंडी हवाओं में
तेरा मुझे कसकर पकड़ना..
और कुछ न कहना
गाड़ी पर चलते-चलते,
मेरा इजहार करना
किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं,
वो कहानी
जिसमें मैं और तुम
मिले-बिछड़े
फिर मिले और
हमेशा के लिए बिछड़ गए।
याद है मेरा तुमसे मिलने के लिए आना,
घंटों तुम्हारा इंतजार करना..
और तुम्हारे देर से आने पर तुम्हें डांटना,
फिर बस की आखिरी सीट पर बैठना.
अपने हाथों में तुम्हारा हाथ थामना,
और कहते जाना
मुझसे कभी दूर न जाना,
आज ये सारी बातें
एक बुरे सपने-सी लगती हैं,
और ये यादें मुझे चिढ़ाकर कहती हैं कि,
तुम अब मेरे पास नहीं
और मैं तुम्हारे पास होने के
बावजूद भी,
तुम्हारे पास नहीं।
सुनो कभी याद आए मेरी,
तो लौट आना
आज भी तुम्हारा शोना
तुम्हारा ही है॥
                                                                             #पीयूष चीलवाल
परिचय : पीयूष चीलवाल, उत्तराखंड के रामनगर शहर में रहते हैं। 19 वर्षीय पीयूष का एक काव्य संग्रह ‘अभी कुछ बाकी है’ प्रकाशित हो चुका है और एक उपन्यास प्रकाशनाधीन है। घूमने-फिरने के शौकीन पीयूष लेखन कार्य के अलावा छायाकारी भी करते हैं।फिलहाल यह जनसंचार एवं पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे हैं। आपको कविताएँ उकेरना अधिक पसंद है।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।