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त्याग तपोमय रूप
जगत का सत् अद्भुत
शांति कुंज सी पुंज
सकल छाया निकुंज
इश्वर सम साकार
विविध विधि करूणा उपहार
जगत में विस्तृत फैले
यश तेरा साकार ब्योम सा
अंको मे लेले
पावन रज की गंध
सुगंधित कर दे जीवन
परम पिता के अंको मे
तू विह्वल खेले
मर्यादा नित झूले तैरे आंगन मे
सदा कृष्ण राधा का कीर्तन
तेरे मन मे डोले ।।
#आलोक त्रिपाठीशास्त्री साहित्याचार्यएम ए हिन्दी लिट्रेचरइंदौर ,मध्यप्रदेश
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