बचपन

2 0
Read Time2 Minute, 33 Second

देखी एक तस्वीर तो ,
याद आया मुझको मेरा बचपन।
मन मचल उठा मेरा यूं ही,
देखा जब मैंने बीता दर्पण।

ना जागने की जल्दी थी ,
ना थी सोने की चिंता,
अपनी मर्जी के मालिक थे ,
ना थी कोई फिकर ना कोई चिंता।

वो प्यार से जगाना मां का ,
वो सिर सहलाना मां का।
वो गोदी में उठाना मां का
वो आंचल में छिपाना मां का।

वो माखन रोटी नानी की ,
वो दूध मलाई मासी की।
वो कथा कहानी रानी की।
वो मक्के की रोटी पानी की,

वो बाबा जी की टॉफी सारी,
वो दादी जी की बातें न्यारी।
वो चाचा जी की घुड़सवारी,
वो बुआ जी की गोदी प्यारी।

वो मेलों में पैदल जाना,
वो मिट्टी के खिलौने लाना ।
वो झूले के लिए मचल जाना,
वो बेवजह का रोना धोना।

वो गुड्डे गुड़िया के खेल सजीले,
वो टेसू झेंझी के ब्याह रंगीले।
वो मीठे आम रसीले,
वो सरसों के खेत पीले।

वो गाएं बकरी भैंस चराना,
वो नदी में डुबकी लगाना।
यारों संग कंचे का खेल सुहाना,
वो मिलकर शोर मचाना ।

वो खाली डिब्बे की ढोल बजाना,
वो सखियों संग नाचना गाना।
वो फूलों के गहने बनाना,
वो दिन भर तितली सा उड़ना।

वो पगडंडियों पर चलना,
वो गिरना और संभलना।
वो साईकिल का पहिया चलना,
वो मास्टर जी का मुर्गा बनाना।

वो चूरन खट्टा मीठा सा,
वो इमली का स्वाद रसीला सा।
वो पांच पैसा चांदी सा,
वो खेल कबड्डी खो खो का।

खाली जेबों में खुशियों की थी ढेरी,
यादों ने आज गलियों में लगाई फेरी।
आज बस एक अभिलाषा है मेरी,
हे प्रभु कर दीजिए इसको पूरी।

काश फिर से मिल जाए बचपन,
बेफिक्री की रातें वो मस्ती भरे दिन।
जब चाहूं तब रात करूं जब चाहूं दिन
यारों की टोली संग धूम मचाऊं हर दिन।

चिंताओं की चिता जलाऊं मैं,
आज फिर से बचपन जी जाऊं मैं।
छोड़ कर दुनियादारी सब मैं,
खुद में ही खो जाऊं मैं।
सपना सिंह
औरैया(उत्तरप्रदेश)

matruadmin

Next Post

डाॅ मसानिया पर दोहे

Wed Sep 23 , 2020
दशरथ कवि मसानिया, आगर करते वास। लेखन की अद्भुत कला,दृष्टि जिनके पास।।1 सन छाछठ का जनम है,त्रिभाषा को ज्ञान। हिन्दी शोध प्रबंध लिखा,डाॅक्टर की पहिचान।।2 बैजनाथ महिमा रची,लिखते भाषा सूत्र। जटिल प्रणाली की सरल,बच्चों के बन मित्र।।3 बेटी चिरैया उड़ रहि,बेटी मोर विशेष। बेटी शंख बजा रही, जीवन का संदेश।।4 […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।