कुहुक कुहुक में गीत प्यार,
के गाती कोयल डाली पर।
हर्षित होता मन उपवन,
इठलाती कोयल डाली पर।।
मदन तीर से बिंधी हुई,
राग छेड़ती प्रीत मल्हार।
मादक-मादक गंध महकती,
पत्ता-पत्ता डाली पर।।
अमराई में मोर की गंध,
महक रही है डाली पर।
कोयलिया फिर मचल उठी,
कुहुक रही है डाली पर।।
नव श्रृंगार किए नव वधु,
सी लजा रही है डाली पर।
नव नूतन नव पल्लव की,
सेज सजा रहीं डाली पर।।
रितुराज खड़े आंगन में,
बरसा रहे हैं प्रीत फुहार।
भीग रही कोयलिया कारी,
मस्त हुई-सी डाली पर।।
#सुदामा दुबे
परिचय : सुदामा दुबे की शिक्षा एमए(राजनीति शास्त्र)है।आप सहायक अध्यापक हैं और सीहोर(म.प्र)जिले के बाबरी (तहसील रेहटी)में निवास है। आप बतौर कवि काव्य पाठ भी करते हैं।