Read Time46 Second
इस जमाने की हकीकत आशनाई देख ली ।
कर मुहब्बत कर वफा करके भलाई देख ली।।
दर्द देकर ज़िन्दगी को बद्गुमानी में रहे।
ज़िन्दगी मैंने तुम्हारी बेवफाई देख ली।।
गलतियाँ कर नासमझ बन और खुद नाराज तुम।
घाव लेकर दिल पे’ मैंने जग हँसाई देख ली।।
है नहीं अब जान बाकी जिस्म में ऐ रुह सुन।
मस्ख चेहरा प्यार का क्यूँ बेहयाई देख ली।।
छ्ल रहा है दोस्त बनकर दोस्ती को झूठ ये।
सच सिसकता है ‘अधर’ कैसी निभाई देख ली।।
#शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
March 14, 2019
अरमान था बहारों का
-
February 7, 2018
सलीका सिखा
-
September 3, 2018
*प्रीत*
-
May 30, 2019
हिंदी के प्रचार प्रसार में सोशल मीडिया की भूमिका
-
May 23, 2019
विचारों में नेकता देश में एकता