लगा था दाग माथे पर,
उसे आज मानो धो दिया।
और हिंदुस्तान को सही में, आज़ाद करा दिया।।
बोकर गए थे जो बीज,
अंग्रेज हिंदुस्तान में।
उस फसल को आज,
उखाड़ फेंका हिन्दुतान ने।
कितने बेटो के बलिदान को,
आज मिला होगा सुकून हिंदुस्तान में।
इसलिए तो कन्याकुमारी से कश्मीर तक,
हर हिंदुस्तानी मनाए जा रहा जशन।।
कब से ढोये जा रहे थे,
एक अलग संविधान।
अभिन्न अंग होते हुए भी,
सब कुछ अलग था।
मानो हिंदुस्तान के सीने में, बहुत बड़ा दर्द था।
जिसको मानो आज,
मिल गई है संजीवनी।
तभी तो मना रहा है,
हर भारतीय आज खुशी।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।