मोक्ष पथ के सूत्र

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दर-दर का मारा भी
प्रभु भक्ति से बन गया।
सभी की आंखों का तारा।
तभी वो प्रभु भक्त कहलाया।।

सवाल यह नहीं है कि
भगवान है या नहीं ?
अपितु सवाल यह है कि
तुम्हारे हृदय में भगवान को।
विराजमान के लिये क्या
कुछ स्थान है या नहीं।।

दुराग्रह एवं आलस्य से मूर्खता
तथा दुर्भाग्य का जन्म होता है।
गुरुभक्ति और प्रभुभक्ति से
शुभफल का उदय होता है।
तभी घर में सुखशांति और
धर्म की प्रभावना बहती है।
और घर का वातावरण फिर
स्वर्ग जैसा बन जाता है।।

सीखना कभी न छोड़िये,
क्योंकि जिंदगी में हमेशा।
परीक्षा देना पड़ती है
इसलिए स्वाध्यावी बने।
विध्दमानों के प्रवचन सुने
और नियमित मंदिर जाये।
आपका पुण्य उदय बढ़ेगा
और जीवन सफल बनेगा।

जो पाप से संचित किया जाता है
वह परिग्रह है और।
जो पुण्योदय से प्राप्त होता है
वह सम्पदा है।
इसलिए पाप से बचे और
पुण्य के लिए परिग्रह का त्याग करे।
और दया दान धर्म के पथ को
अपने जीवन के लिए चुने।।

भय औऱ आशक्ति का
त्याग करने पर ही।
सच्चे सुख की प्राप्ति होती है।
इसलिए अपनी शक्ति को
यहाँ वहाँ पर बर्बाद न करे।
और अपनी शक्ति का आप
सही जगह पर उपयोग करें।।

जो मूर्खों को चुप करा दे और
विद्वानों की चुप्पी खुलवा दे।
उसे हम आप और समाज
बुद्धिमान व्यक्ति कहते हैं।
यह तभी संभव हो सकता है
जब आपका ज्ञान अच्छा होगा।
इसलिए ग्रंथो का स्वाध्याय
धर्य और गंभीरता से करे।।

पूर्वजन्म के अच्छे कर्मो के कारण
आपको मनुष्य पर्याय मिला है।
इसलिए इसका सदुपयोग करें
और ब्रा.भैया संदीप “सरल” जी के
चिंतन सूत्रो का मनन करें।
और अपना अगला भव भी
अच्छे कर्म करके सुधारे ले।
और मोक्ष पथ को पाने के लिए
श्रुत आराधना, श्रुतधाम से जुड़े।।
और अपना जीवन सफल करें।।

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन, मुंबई

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।