फूल कितना सुंदर है।
पर तुमसे सुंदर नही।
फूल देख मुस्करा देते है।
बिना फूल के तुम्हारी, मुस्कान का जबाव नही।।
देख कर गुलदस्ता लोग, अपने इरादे बदल लेते है।
पर तुम जो हो इंसान की,
पहचाना उसके शब्दो से करती हो।
तभी तो सदा हँसती रहती हो।
और सामने वाले को भी लुभाती हो।।
लूटकर दिल कितनो का, अपना दीवाना बना लिया।
पर दिल अपना किसी पर, आज तक न लूटने दिया।
वाह क्या अदाएं है तेरी,
जो सब को मदहोश करे जा रही है।।
अब तो डर मुझको भी लगाने लगा।
आज कल के हालात देखकर।
कही दो दोस्तों की मोहब्बत,
पर भी दाग न लग जाये।
और बेबजह तुम कही बदनाम न हो जाओ।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।