हो जाएं कितने भी मालामाल तेरे बिन,
रहेंगे कसम से जा़न कंगाल,तेरे बिन..।
तिलिस्म-ए-इश्क है कि,तेरे चहरे की क़शिश,
आता नहीं किसी का भी ख़याल तेरे बिन..।
धड़कनों के धरने जारी हैं कूचा-ए-दिल में,
नींदों ने भी कर दी है हड़ताल तेरे बिन..।
जिस तरह बिना राधा के,आधा है कन्हैया,
उसी तरह अधूरा है,तेरा ‘इन्द्रपाल’ तेरे बिन..।
#इन्द्रपाल सिंह
परिचय : इन्द्रपाल सिंह पिता मेम्बर सिंह दिगरौता(आगरा,उत्तर प्रदेश) में निवास करते हैं। 1992 में जन्मे श्री सिंह ने परास्नातक की शिक्षा पाई है। अब तक प्रकाशित पुस्तकों में ‘शब्दों के रंग’ और ‘सत्यम प्रभात( साझा काव्य संग्रह)’ प्रमुख हैं।म.प्र. में आप पुलिस विभाग में हैं।