वास्तुशास्त्र_और_फेंगशुई

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pragya pandey
वास्तु शास्त्र और फेंगशुई को लोग एक समान समझने की गलती कर रहे हैं। जिसके कारण लोग वास्तु शास्त्र की अपेक्षा फेंगशुई में बताई गई वस्तुओं का अधिक उपयोग करने लगे हैं। बाजारों में दुकाने फेंगशुई की सामान से भरी पड़ी है।और लोग बिना समझे उसका अत्यधिक उपयोग करते जा रहे हैं। समय है दोनों के बीच के अंतर को समझने का।
     वास्तु शास्त्र कला, विज्ञान, खगोल विज्ञान और ज्योतिष का मिश्रण है। वास्तु विज्ञान जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश जैसे प्राकृतिक बलों के आधार पर कार्य करता है। इन पांचों तत्वों के बीच में होने वाली क्रिया को वास्तु के नाम से जाना जाता है। वास्तु शास्त्र विज्ञान और संस्कृत दोनों पर आधारित है। तथा अत्यधिक प्राचीन विज्ञान है।
     फेगंशुई चीन की एक प्राचीन कला है। चीनी भाषा में फेगं का अर्थ ‘हवा’ और सुई का अर्थ ‘पानी’ है। फेंगशुई भूगोल पर आधारित है, तथा हवा और पानी के आधार पर कार्य करता है।
      हम कह सकते हैं कि वास्तु शास्त्र विज्ञान पर आधारित है और फेंगशुई भूगोल पर। विज्ञान के नियम हर जगह सामान्य कार्य करते हैं पर भौगोलिक स्थिति हर स्थान की समान नहीं होती है। वास्तु शास्त्र फेंगशुई की अपेक्षा अत्यधिक प्राचीन शास्त्र है। फेंगशुई घर में सकारात्मक उर्जा को संतुलित करता है, और वास्तु शास्त्र के द्वारा आधुनिक वैज्ञानिक तरीके से जीवन में सभी क्षेत्रों में सुख समृद्धि और सफलता प्राप्त की जा सकती है। वास्तु शास्त्र को अपनाएं और अपनी संस्कृति को बढ़ावा दें।
नाम-प्रज्ञा पाण्डेय
साहित्यिक उपनाम-प्रज्ञा पाण्डेय
वर्तमान पता-उन्नाव, उत्तर प्रदेश
राज्य-उत्तर प्रदेश
शहर-उन्नाव
शिक्षा-डबल एम ए (अंग्रेजी साहित्य व इतिहास)
कार्यक्षेत्र-ग्रहणी
विधा -कविता, मुक्तक, ग़ज़ल

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।