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1.
स्वभाव का गुण
बदलता नही
पानी
जितना भी गर्म हो
आग फिर भी
बुझायेगा।
या उबलकर
ठण्डा हो जायेगा।
2.
अब दोस्ति के खत
किताब की औट
मेँ नही,
बल्कि
चेहरे कि किताब पर
पढे जाते है।
3.
लिवासोँ की
आजादी के लिये
ईन्कलाब होने लगे है।
शायद अब
कोई भी
न लडेगा
माँ बहन की ईज्जत
ढाँपने को।
#दिलीप वसिष्ठसिरमौर(हिमाचल प्रदेश)
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