सप्ताह का दिन रविवार,काम होते हैं हज़ार।
घर-परिवार में गुज़ार,खुशियां मिलें अपारll
मौज सभी मिलकर करो,आया फिर रविवार।
अपनों से बातें करो,खुशी गम की हज़ारll
नारे झूठे लगा रहे,राजनीति में आज।
वादे जनता से किए,नेता जी ने आजll
धर्म-जात में बंट गया,देखो अब इंसान।
आरक्षण की आग में,जल रहा हिंदुस्तानll
राजनीति की नाव में,बैठे सारे चोर।
लगी डूबने नाव जब,चोर मचाए शोरll
ज्ञान की वाणी खोल दे,मिटे मन का अज्ञान।
हो गुरुवर ऐसी कृपा,पाएं हम सत ज्ञानll
पढ़ते लाखों लोग हैं,ये गीता का ज्ञान।
गीता ज्ञान महान है,कोई बिरला जानll
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।