फिर से आया तेरे द्वारे चुनाव आया है ।
हमने जा करके चरण खूब थे चूमें उनके ,
पैर पर इनको गिराओ चुनाव आया है।
नहीं मिलेगा पांच साल तक ये प्याला फिर ,
पी लो ये मुफ़्त की दारू
चुनाव आया है।
भाई और बाप दोस्त सब बनें हैं अब दुश्मन ,
और दुश्मन बन गये साथी चुनाव आया है।
जो भी कहना , नहीं करना बनी उनकी फितरत ,
वादें फिर तू वही कर चुनाव आया है।
कभी तू लाठियां बरसाता रहा पीठों पर,
मांग ले आज तू माफी चुनाव आया है।
कर ले ‘ एहसास’ कि करना है तुझे परिवर्तन ,
वोट में है तेरी ताकत चुनाव आया है।
#अजय एहसास
परिचय : देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सुलेमपुर परसावां (जिला आम्बेडकर नगर) में अजय एहसास रहते हैं। आपका कार्यस्थल आम्बेडकर नगर ही है। निजी विद्यालय में शिक्षण कार्य के साथ हिन्दी भाषा के विकास एवं हिन्दी साहित्य के प्रति आप समर्पित हैं।