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कटु वचनों से हो चुके, बहुत बार नुकसान।
कौरव पाण्डव युद्ध से,खूब हुआ अवसान।।
रसना नाहीं बावरी, कहती मन के भाव।
मन को वश में राखिए,उत्तम रखो स्वभाव।।
मिष्ठ वचन मिष्ठान्न से, जैसे भगवन भोग।
मधुर गीत संगीत से, भोर भजन संयोग।।
कटु वचनी आरोप से, हुआ न कागा मुक्त।
पिक सम वचन उचारिये,हो सबके उपयुक्त।।
घाव भरे तलवार के, समय औषधी संग।
कटु वचनों के घाव से, जीवन रस हो भंग।।
कटु वचन से है भले, रहना मौन सुजान।
कूकर भौंकें खूब ही, हाथी मौन प्रमान।।
मृदु मित सत बोलो सदा,उत्तम सोच विचार।
संगत सत्संगी रखो, उपजे नहीं विकार।।
अपनेपन के भाव से, कहना अपनी बात।
शब्द प्रभावी बोल कर, उद्वेलित जज्बात।।
वाणी मे मधु घोल कर, बोलो मन संवाद।
हृदय पटल सुरभित रहे,होगा नहीं विवाद।।
औषध कटु मीठे वचन, रोगी कर उपचार।
सार सत्य सर्वस सुने, हो जग का उपकार।।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः