इंसानियत

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anupa harbola
“तिन्नी एक कप चाय और चार पीस ब्रेड को सेक कर रवि को दे दे। दस बज गए हैं, फिर उसके खाना खाने का समय हो जाएगा।” नीतू ने अपनी बेटी को कहा।
“मम्मी! मैं नहीं बना सकती ,मैंने नेल पेंट लगाया है, खराब हो जाएगा, रोज तो देती हो चाय नाश्ता, एक दिन नहीं दोगी तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।वैसे भी सरकार उसे पैसे देती है,  हमारे घर  काम करने के, ये बहुत बुरी आदत है आपकी, अपने से ज्यादा दूसरे के बारे में सोचती हो आप” तिन्नी ने उत्तर दिया।
“फर्क पड़ेगा बेटा, सुबह से वो धूप में काम कर रहा है, हमारी बगिया के फूलों की देखभाल करता है, हमारा फ़र्ज़ नहीं कि उसकी देखभाल करें।”
“कहीं लिखा है कि उसे चाय नाश्ता देना है।”
“हाँ लिखा है, इंसानियत की किताब में लिखा है, अमीर को तो सब खिलाते है,गरीब को खिलाना इंसान होने की सबसे बड़ी निशानी है…,अगर ये बुरी आदत है तो गर्व है मुझे अपनी बुरी आदत पर।”
#अनूपा हरबोला
विद्यानगर (कर्नाटक)

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