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कभी कभी हम दिल के, हालात भी लिखते हैं…,
दिल पर जो गुजरती है, वो ही व्या करते है /
हर वक़्त वाह वाह की, ख्वाहिश नहीं होती…,
हँसाने के चक्कर में, कभी कभी खुद रोते है //
छोटी सी ज़िंदगी है, इसलिए हर बात में खुश रहो ,
जो चेहरा पास ना हो, उसकी आवाज में खुश रहो /
कोई रुठा हो आपसे, उसके अंदाज़ में खुश रहो ,
जो लौट के नहीं आने वाले, उनकी याद में खुश रहो //
कल किसने देखा है, अपने आज में खुश रहो ,
इसके लिए खुद जीओ, औरो को भी जीनो दो /
तभी तो जिंदगी जिन्दा, दिली से जी पाओगे ,
खुद के दर्द भूलकर, औरो के गम अपनाओगे //
घुटघुट कर जीने से बेहतर है, हंसकर जीओ जिंदगी ,
मरना जीना तो लगा, रहेगा इस संसार में /
क्या तो लेकर आये थे, और क्या लेकर जायेंगे ,
जो कुछ भी कमाया, सब यही छोड़ जायेंगे//
जन्म मरण के इस चक्र को ,हम सब यही दोहराएँगे //
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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