कृत्रिम चंद्र परिकल्पना, चलती देश विदेश।
बच्चों की प्रतिभा सुनो, होती खूब विशेष।।
.
चन्दा तू मत सोचियो,केवल तेरो राज।
चार दिना की चाँदनी, देय हमारे काज।।
.
मानवता के पूत हम, करें नित नई खोज।
तेरी क्यूँ मर्जी सहें, करे अमावस दोज।।
.
मानव ने दीपक जला , मेटा है अँधियार।
बल्ब प्रकाशित कर दिए,करने को उजियार।।
.
सूरज ऊर्जा खेंच कर,करते खूब प्रकाश।
अब ऐसी करनी करें, ताके नहीं अकाश।।
.
उभय चन्द्र हमने बना,टाँग दिया आकाश।
प्रति दिन जो रोशन रहे,ऐसा होय प्रकाश।।
.
मानव के बच्चे हुए, अब ऐसे हुशियार।
नकली चन्दा जड़ दिया,बाँस जोड़ इकसार।।
.
देखे दुनिया चाँद है, आज करे परिहास।
भावि समय में देखना,जब यह करे प्रकाश।।
.
कृत्रिम चन्द्र की कल्पना,होनी है साकार।
ब्रह्मा, विष्णु ,महेश से, बच्चे तीन तयार।।
.
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः