आत्मसंतुष्टि 

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manila kumari
शिखर शुरू से ही बहुत ही प्रतिभाशाली था l वह बचपन में  गाँव के ही स्कूल में पढ़ता था l उसके शिक्षक उसके कार्यों से सदैव प्रसन्न रहते थे l जब उसने मैट्रिक की परीक्षा दी तब उसके परीक्षा परिणाम से सब अवाक थे कि जिस बच्चे को नब्बे प्रतिशत से ऊपर अंक आने चाहिए उसको मात्र 60 प्रतिशत अंक आए हैं l चूँकि वह गरीब परिवार से था,  इसलिए उसने दुबारा कॉपी जाँच कराने का प्रयास नहीं किया l जब शिखर ने  इंटर की  परीक्षा दी, तब पिछड़े जिले का छात्र होने के कारण उसे जितने अंक आने चाहिए,उतने नहीं मिले, जबकि सब शिक्षक जान रहें थे कि शिखर प्रतिभा का धनी है l शिक्षकों ने शिखर को पुनः कॉपी जाँच कराने को कहा तो शिखर ने कहा कि वह दुबारा कॉपी जाँच नहीं कराना चाहता है l उच्च शिक्षा में भी उसे ग्रामीण क्षेत्र का होने का खामियाजा कम अंक के रूप में भुगतना पड़ा l उच्च शिक्षा प्राप्त करते समय उसे इस बात का पता चल गया कि  अच्छे अंक के लिए पढ़ाई से ज्यादा धनी, सुन्दर और अच्छी पहुँच होना बहुत जरूरी है l उससे बहुत कम जानने वाले बच्चे को प्रायोगिक परीक्षा में अच्छे अंक देकर गोल्ड मेडलिस्ट बनाया गया l शिखर ने  कोई प्रतिकार नहीं किया l उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद शिखर ने नौकरी के लिए आवेदन किया l कई निजी क्षेत्र में उसे ग्रामीण क्षेत्र से होने  और कम स्मार्ट होने के कारण छाँट दिया गया l सरकारी नौकरी के लिए जब उसने परीक्षा दी तो उसका चयन सरकारी नौकरी हेतु हो गया l शिखर अपने काम को अच्छे से करने लगा l शिखर के दफ्तर में तीन तरह के लोग थे l कुछ अपने काम में मग्न रहते और काम को अच्छे से करते थे,  कुछ काम करने में जानबूझ कर इतनी गलती करते कि  उनको बहुत कम ही काम करने को कहा जाता और कुछ लोग ऐसे थे जो काम तो कुछ भी नहीं करते, बस अपने से बड़े पदाधिकारियों की जी हजूरी करते थे l एक वर्ष दौरे पर कोई मंत्री आए, जी हजूरी करने वाले  उनके पीछे पीछे उनकी जी हजूरी करने लगे l फिर क्या था जी हजूरी करने वालों में से एक को  सबसे अधिक और अच्छा  काम करने का पुरस्कार मिल गया l शिखर ने अन्य विभागों में भी पता किया तो उसे पता चला कि कमोबेस सभी जगह  दिखावा करने वालों की ही कद्र है,  कहीं  में वास्तव में मेहनत करने वालों को कोई सम्मान नहीं दिया जाता है l शिखर नौकरी करते हुए ही खेती से जुड़े कार्यों को  सरल बनाने  के लिए शोध करने लगा,ताकि उसे आत्मसंतुष्टि मिल सके  l वह जानता था कि वह जितनी भी मेहनत नौकरी में करे, उसे वह सम्मान नहीं मिलेगा जिसका वह वास्तविक हकदार है l इसलिए उसने अपने गाँव में उसने धान पीसने की मशीन से दो बैटरी को जोड़कर उन्हें चार्ज करने की व्यवस्था की, फिर उस बैटरी से घर में पंखा, टी वी और एक लाइट को जोड़ दिया l जब बिजली चली जाती तो आराम से घर पर पंखा और टीवी चलाया जा सके  और लाइट भी जलाया जा सके l उसने एक ऐसा कमरा भी बनाया जिसमें गर्मी में भी ठंडक का अहसास होता था l इस तरह कई नए प्रयोग द्वारा अपने घर को हवादार और सुन्दर बनाया l इसकी चर्चा आसपास में होने लगी,तो कई अख़बार वालों ने शिखर के बारे में छापा l इससे शिखर की  पहचान बनने लगी और उसे विदेशों से भी बुलावा आने लगा l तब शिखर के दफ्तर वालों को लगा कि सच में काम करने वालों और प्रतिभाशाली लोगों को आगे बढ़ने से रोक पाना बहुत कठिन है l शिखर  अपने नाम के अनुरूप ही आत्मसंतुष्टि के  लिए कार्य करते हुए शिखर पर पहुँच गया l
#डॉ मनीला कुमारी

परिचय : झारखंड के सरायकेला खरसावाँ जिले के अंतर्गत हथियाडीह में 14 नवम्बर 1978 ई0 में जन्म हुआ। प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही स्कूल में हुआ। उच्च शिक्षा डी बी एम एस कदमा गर्ल्स हाई स्कूल से प्राप्त किया और विश्वविद्यालयी शिक्षा जमशेदपुर वीमेन्स कॉलेज से प्राप्त किया। कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों में पत्र प्रस्तुत किया ।ज्वलंत समस्याओं के प्रति प्रतिक्रिया विविध पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही है। प्रतिलिपि और नारायणी साहित्यिक संस्था से जुड़ी हुई हैं। हिन्दी, अंग्रेजी और बंगला की जानकारी रखने वाली सम्प्रति ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय में पदस्थापित हैं और वहाँ के छात्र -छात्राओं को हिन्दी की महत्ता और रोजगारोन्मुखता से परिचित कराते हुए हिन्दी के सामर्थ्य से अवगत कराने का कार्य कर रहीं हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।