अपनी शर्तों पर जीना चाहती हूँ

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sakshi

आज मैं अपनी शर्तों पर जीना चाहती हूँ,
चाय की चुस्की संग
दिल का गीत गुनगुनाना चाहती हूँ।

न रोक,न टोक,
बेफिक्री से मौज में जीना चाहती हूँ..
आज मैं अपनी शर्तों पर जीना चाहती हूँ।

ख़ुशी से विभोर होकर नाचूँ,
न किसी के देख लेने की हिचक हो..
जो चाहता है मन ये बावरा,
उसे हासिल करना चाहती हूँ..
आज मैं अपनी शर्तों पर जीना चाहती हूँ।

न रहे किसी काम की चिंता,
हर दिन को ख़ास बनाना चाहती हूँ..
बेड़ियाँ सारी जो लादी हैं समाज ने,
तोड़कर उन्हें उड़ जाना चाहती हूँ..
आज मैं अपनी शर्तों पर जीना चाहती हूँ।

जियूँ अब अपनी शर्तों पर,
बंदिशों के जाल को तोड़ देना चाहती हूँ..
समाज के दोगले नियमों से,
दूर जाना चाहती हूँ..
आज मैं अपनी शर्तों पर जीना चाहती हूँ।

बेफिक्री से घुमूँ रातों को,
जो मन चाहे वो कर सकूँ..
न खुद को बचाने की बेबसी हो,
न इस समाज के तानों का डर हो..
बस कर सकूँ अपने मन का,
यही बार-बार दोहराना चाहती हूँ,
आज मैं अपनी शर्तों पर जीना चाहती हूँ।

                                                  #साक्षी पेम्माराजू  ‘स्वप्नाकाक्षी’

परिचय : बैंगलोर में निवास कर रही साक्षी पेम्माराजू  ‘स्वप्नाकाक्षी’ का इंदौर से भी नाता है,क्योंकि मध्यप्रदेश के झाबुआ से इन्होंने अपनी पढ़ाई की है। बचपन से हिन्दी में कविताएँ लिखने का इनका शौक अब तो जुनून है,जो स्वप्नाकशी नाम से देखने में आता है। फिलहाल यह सॉफ़्टवेयर इंजीनियर के रुप में कार्यरत हैं।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।