*हत भागी*

0 0
Read Time2 Minute, 48 Second

babulal sharma
.                 🌼 *1* 🌼
वरषा ने  है रोक दी, सबकी  ही  रफ्तार।
काले  हो  गये बाजरे, कड़ब हुई  बेकार।
कड़ब हुई  बेकार, फसल है  पानी पानी।
कैसी होती पीर, सुनो यह जुबाँ किसानी।
कहे लाल कविराय,पीर में भी मन हरषा।
भली  करेंगे  राम, बरसले तू अब  वरषा।
.                    🌼 *2* 🌼
बे  मौसम  का  बरसना, या  सूखे  की  मार।
तेरे   आगे   रामजी,  हुये   कृषक    लाचार।
हुये  कृषक  लाचार, डूब आशा  दर  आशा।
खेती  उजड़े  साख, छाय  है   घोर  निराशा।
कहे लाल कविराय,विनय करजोरि करें हम।
वर्षा  हो  या  ताप, शीत मत  हो  बे  मौसम।
.                      🌼 *3* 🌼
होता  है हर साल ही ,कुदरत  का यह  वार।
राम   रखें  तो  राज  का, सहना  अत्याचार।
सहना   अत्याचार,  नाम  अन्न  दाता  धारी।
धरती पुत्र  किसान, सदा ही  किस्मत हारी।
कहे लाल कविराय,फसल भी सस्ती खोता।
जय  किसान  बेहाल, सदा हत भागी होता।
.                 🌼 *4* 🌼
कर्जे   साहूकार   के , बैंको  के  भी  ब्याज।
भरे  फीस  फिर पुत्र की, और  घरेलू काज।
और   घरेलू   काज , बेटियाँ    शादी  वाली।
मात  पिता  की  दवा , करायें  जेबें   खाली।
कहे  लाल  कविराय , राज  के   भरने  हर्जे।
जय किसान बस घोष,भूख अरु बढ़ते कर्जे।
.                 🌼 *5* 🌼
खर्चे खाद व बीज के, और  मशीनें  जोत।
फसल साख में सदा ही, लागत खर्चे होत।
लागत खर्चे होत,फसल अरु पशुधन हारे।
काटे  भूख  किसान, रहे गुरबत  के  मारे।
कहे लाल कविराय, शेष  बिजली के पर्चे।
कैसे  भरे  किसान, रात  दिन  होते  खर्चे।

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

जाने किस उलझन में

Wed Sep 26 , 2018
उलझ जाता है वो कई बार, ना जाने किस उल्टी उलझन में। बसा हुआ है जो पगला सा, मेरे दिल की हर धड़कन में।। :-डोल जाता है जब दिल उसका, तो बड़ा वो घबराता है…   खोकर सुध वो बावरा, मुझको फोन मिलाता है….   डरता है मुझको खोने से, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।