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उलझ जाता है वो कई बार, ना जाने किस उल्टी उलझन में।
बसा हुआ है जो पगला सा, मेरे दिल की हर धड़कन में।।
:-डोल जाता है जब दिल उसका, तो बड़ा वो घबराता है…
खोकर सुध वो बावरा, मुझको फोन मिलाता है….
डरता है मुझको खोने से, और प्यार में झगड़ जाता है….
कई बार तो उस उलझे हुए को, विरह का दर्द बहुत सताता है….
कौन समझाए उस पागल को,बसा है वो “मलिक” के तन मन मे।
उलझ जाता………………उलझन में…..।
:- इश्क़ भरा उसकी रग रग में, कतराता है बताने से…
भूल जाता है वो पगला इश्क़ छिपता नही छिपाने से….
लड़ाई झगड़ा हो या हो प्यार, रुकता नही बतियाने से….
लाख कोशिश करता है लेकिन रुकता नही दिल लगाने से….
कैसे समझू उस आशिक़ को विचरता है वो किस वन में….
उलझ जाता…………………. उलझन में…
#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।
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