दुनिया का दिमाग ठीक करने वाले पागल हुए जा रहे है। हाथियों से लड़ने वाले मच्छरों से घायल हुए जा रहे है।
किस समय क्या होने वाला है ये कोई नहीं जानता क्योंकि जो खुश रहना चाहते है। वही आज पल पल रो रहे है क्योंकि
हवा के हर झोके में,
एटमबम छुपे हुए है
दवा के झरोखो में
रोगो के जन्म हुए है
अब इस धरती पर विश्वास कैसे हो,
दयालुता के साये में ही दानवता के दस्तु घुसे हुए हो,
अविश्वास से फटे हॄदय को
प्रेम से सिने दो
क्यो हिंसा पर तुले हुए हो
खुद जियो और ओरो को जीने दो।
स्वप्निल प्रदीप जैन,
खंडवा
परिचय-
नाम. स्वप्निल प्रदीप जैन
साहित्यिक नाम.. स्वप्नदीप
जन्मतिथी. 17जून
वर्तमान पता. महावीर जैन मंदीर के पास घासपुरा खंडवा
राज्य. मध्यप्रदेश
शिक्षा. एम कॉम. एम ए
कार्यक्षेत्र. ट्रेनर काऊन्सलर
विधा. गीत गजल कविता कहानी एंकाकी
प्रकाशन. साहित्य सृजन पब्लिक पावर समाचार पत्र अमेजान किंडल पर परिवार समाज की रीढ
सम्मान. साहित्य सुरभि सम्मान
मध्यप्रदेश लेखक संघ से साहित्य सम्मान काव्य रांगोली से अरूणीमा सम्मान द डायर डाॉट कॉम से साहित्य सम्मान लायन्स क्लब से सम्मानित द लेडी बर्ड सोसायटी से सम्मानित
अन्य उपलब्धि… समाजसेवी काउन्सलर वन स्टाप सेन्टर… वुमन्सपॉवर खंडवा कि एडमिन सदस्य .जय जिनेन्र्द मडंल सचिव. विद्या पूर्णा महिला सामाजिक संस्था कि अध्यक्ष रजिस्ट्रर. समम्यक ग्रुप एडमीन
लेखन का उद्देश्य. हिन्दू सभ्यता संस्कृति .परिवार समाज को पल्लवित करने और उन्हे विलुप्त होने से बचाना।
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