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2 दिन का हल्ला गुल्ला है,
हिंदी की चीख-पुकार है,
हिंदी-हिंदी का शोर है,
यह हिन्दी कितनी बोर है,
सच में यह कितनी ढीठ है,
हुई खूब मिट्टी पलीत है,
फिर भी यह हिन्दी जिंदा है?
अंग्रेजी लल्ला शर्मिंदा है!
हाय-हेलू का जमाना है,
इस हिंदी को घर से भगाना है,
यूं ही कलयुग नहीं आया है,
कपूत ने मा पर कहर ढाया है
#दीपा रस्तोगी
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