0
0
Read Time35 Second
कैसे कैसे मोहब्बत में हैं मुकाम आये।
जिस राह से चले ,तेरे दरो बाम आये।
इशक के मरहलों की बात न तू पूछ
मंज़िल पा कर भी ,हम नाकाम आये।
सिलसिले कुछ इस तरह तोङे उसने
लब पे बददुआ है सुबहो शाम आये।
हसरत सी अभी भी पलती है सीने में
होठों पे उसके कभी तो मेरा नाम आये।
खुदकुशी करू , या फिर कत्ल करोगे मेरा
कोशिश करूगी तेरे सर न इल्ज़ाम आये।
#सुरिंदर कौर
Post Views:
392